दुपहिया वेब सीरीज समीक्षा: हर एपीसोड में बढ़ता है सस्पेंस

दुपहिया वेब सीरीज ग्रामीण जीवन पर एक  दिल छू लेने वाली कहानी है। सामाजिक संदेश को खूबसूरती से बुनती है। अपराध मुक्त धड़कपुर में तब हड़कंप मच जाता है जब एक दहेज का तोहफा रॉयल एनफील्ड गायब हो जाती है। जिससे गांव में पहली बार चोरी होती है। इसके बाद शुरू होती है 8 दिनों की रोमांचक यात्रा।
दुपहिया वेब सीरीज का स्टार कास्ट:
इस वेब सीरीज में निम्नलिखित स्टार अपने-अपने चरित्र को निभाते नजर आएंगे। 
रेणुका शहाणे 
गजराज राव, शिवानी रघुवंशी, भुवन अरोड़ा, स्पर्श श्रीवास्तव, अविनाश द्विवेदी, यशपाल शर्मा इत्यादि। 
डायरेक्टर, सोनम नायर 
निर्माता,   बॉम्बे फिल्म कार्टेल
एपिसोड 9,   (35 मिनट प्रत्येक) 
भाषा हिंदी 
प्लेटफॉर्म,      प्राइम वीडयो
 
बाइक चोरी पर है इसकी कहानी: 
बिहार का छोटा सा गांव धड़कपुर पिछले 25 वर्षों से अपराध मुक्त रहा है लेकिन एक छोरी सब कुछ बदल देती है। कहानी के केंद्र में है रोशनी (शिवानी), जो शहर में बसाने का सपना देखते हैं और दहेज में महंगी रॉयल एनफील्ड और पेट्रोल खर्च के लिए अतिरिक्त नगद मांगते हुए दूल्हे के छोटे भाई से शादी करने की शर्त रखती है। यही दुपहिया पूरे गांव की चर्चा का विषय बन जाती है लेकिन जब यह चोरी हो जाती है, तो गांव में हलचल मत जाती है। यह सिरी जी दिखती है कि कैसे गांव वाले अपनी प्रतिष्ठा बचाने की कोशिश करते हैं और इस समस्या का हल निकालते हैं। 
सभी स्टार्स का कम अच्छा:
शिवानी रघुवंशी ने रोशनी के भीतर के संघर्ष को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है m कोमल कुशवाहा ने नॉर्मल के किरदार में बेहतरीन परफॉर्मेंस दी है, जो चोरी का मुख्य संदिग्ध है और नैतिक की दुविधाओं से घिरा रहता है। स्पर्श श्रीवास्तव ने भूगोल के रूप मे अपने पिता की उम्मीद के बोझ को बखूबी निभाया है। समर्थ माहौर (टीपू) की कॉमिक टाइमिंग जबरदस्त है। दिग्गज कलाकार गजराज राव रेणुका शहाणे अपने बेहतरीन अभिनय से शो को मजबूती देते हैं।

निर्देशन सबसे बड़ी ताकत है:
सोनम नायर की निर्देशन इस सीरीज की सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने इस कहानी को इस तरह बुना है कि इसकी आत्मा बरकरार रहती है।धड़कपुर का गांव जीवंत और वास्तविक लगता है। नायर ने हास्य और ड्रामा के बीच अच्छा संतुलन बनाए रखा है, जिससे दर्शक के भावनात्मक रूप से जुड़े रहते हैं। कहानी की गति सही बनी रहती है, और हर एपिसोड धीरे-धीरे सस्पेंस बढ़ता है, लेकिन साथ ही हल्का-फुल्का अंदाज भी बनाए  रखता है। किरदारों की ग्रोथ को  भी अच्छे से दिखाया गया है, सामाजिक संदेश को बिना उपदेशात्मक बनाए प्रस्तुत करना काबिले तारीफ है।

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