माफिया और अपराध की दुनिया पर बनी फिल्मों या वेब सीरीज में अक्सर पुरुष विलेन का बोलबाला होता है। ग्लैमरस महिलाएं सिर्फ "आइकनिक" दृश्यों की शोभा बढ़ाती हैं, पर कहानी के मूल ढांचे में उनकी भूमिका गौण ही रहती है। लेकिन गैजेट की नई वेब सीरीज **'डब्बा कार्टेल'** इस स्टीरियोटाइप को तोड़ती है। यहां महिलाएं सिर्फ मजबूर नहीं, बल्कि माफिया साम्राज्य की धुरी हैं—जिनके हाथ में पैसा, पावर और फैसले की ताकत है। और यही इस सीरीज को खास बनाता है।
##शबाना आजमी का धमाकेदार किरदार:
सीरीज का सबसे बड़ा आकर्षण है **शबाना आजमी** का दमदार अभिनय। वह ज़हीरा इलियास बनकर आती हैं—एक ऐसी महिला जो ड्रग कार्टेल से लेकर बाज़ार के गलियारों तक अपने नियम थोपती है। उनकी आवाज़ में गरज, आंखों में ठंडी आग, और डायलॉग डिलीवरी में वह रौब जो स्क्रीन को हिला दे। एक दृश्य में वह चेतावनी देती हैं: *"माल चोरी है, लेकिन बाज़ार मेरा है। और ये औरतें इसकी असली मालिक हैं!"* यहां साफ है कि यह सीरीज पुरुषों के शो से नहीं, बल्कि महिलाओं की सत्ता और स्ट्रगल से जुड़ी है।
##कहानी: जिंदगी की मजबूरियां और सपनों का अंधेरा सफर,
कथानक उन महिलाओं के इर्द-गिर्द घूमता है जो जीवन की विषम परिस्थितियों में फंसी हैं—कोई घर चलाने के लिए सफाई करती है, तो कोई बच्चों के भविष्य के लिए संघर्षरत। पैसा इनके लिए मजबूरी भी है और आजादी की चाबी भी। यही वजह है कि वे **"डब्बा कार्टेल"** से जुड़ती हैं—एक अंडरग्राउंड नेटवर्क जो दवाओं की तस्करी करता है। शुरुआत में यह काम उन्हें सिर्फ "कुछ पैसे कमाने" का जरिया लगता है, लेकिन धीरे-धीरे यह जाल उन्हें इस कदर जकड़ लेता है कि बाहर निकलना नामुमकिन हो जाता है।
धीमी शुरुआत, परंतु धमाकेदार एंट्री:
पहला एपिसोड थोड़ा सुस्त है। किरदारों की पृष्ठभूमि समझाने में समय लगता है, लेकिन दूसरे एपिसोड से सीरीज रफ्तार पकड़ती है। तीसरे एपिसोड तक आते-आते प्लॉट इतना इंटेंस हो जाता है कि रुकना मुश्किल। खासकर शबाना आजमी और अन्य महिला किरदारों के बीच के कॉन्फ्लिक्ट सीन्स नाटकीयता को चरम पर ले जाते हैं।
## फीमेल सेंट्रिक नैरेटिव: क्लिशे से परे
यहां महिलाएं "आइटम" नहीं, बल्कि "आर्किटेक्ट" हैं। हर किरदार को उसकी खामियों, ताकतों और भावनाओं के साथ पेश किया गया है। मिसाल के तौर पर, **नसीरुद्दीन शाह** का कैमियो रोल भले ही छोटा हो, पर वे सीरीज को गहराई देते हैं। वहीं, युवा एक्ट्रेसेस की परफॉर्मेंस भी शानदार है—खासकर जब वे ड्रग्स को डब्बों में छिपाने की योजना बनाती हैं या पुलिस से बचने के लिए तरकीबें।
##ट्विस्ट्स और टर्न : भरोसा और धोखे का खेल
सीरीज में कई मोड़ ऐसे हैं जो दर्शकों को झटका देते हैं। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, पता चलता है कि हर कोई अपने फायदे के लिए दूसरों को गिरवी रखने को तैयार है। फार्मास्युटिकल कंपनी का सबप्लॉट थोड़ा कमजोर लग सकता है, लेकिन यह कार्टेल के विस्तार को समझाने के लिए जरूरी है।
क्यों देखे हैं यह सीरीज:
- अगर आप **'स्क्रिप्ट'** और **'किरदारों की गहराई** पसंद करते हैं।
- **शबाना आजमी** का कभी न देखा गया खलनायकी अवतार।
- माफिया जगत में महिलाओं की दखलंदाजी का यथार्थपरक चित्रण।
- सस्पेंस और इमोशन का बेहतरीन मिश्रण।
**रेटिंग: 4/5**
**स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म:** गैजेट
**एपिसोड:** 7 (प्रत्येक 40-50 मिनट)
निष्कर्ष:
'डब्बा कार्टेल' सिर्फ एक क्राइम थ्रिलर नहीं, बल्कि उन महिलाओं की कहानी है जो समाज की बेड़ियां तोड़कर अपना इतिहास रचती हैं। यह सीरीज आपको झकझोर कर रख देगी!
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