Emergency movie review: कंगना रनौत इंदिरा गांधी के रोल में कमाल कर दिया देखें एक झलक।


भारतीय इतिहास के काले अध्यायों में से एक, 1975 के दशक में, स्मारक पर जीवंत प्रदर्शन करते हुए, कंगना रनौत ने दर्शकों और समीक्षकों के दिलों को छू लिया। इंदिरा की भूमिका में महान हुए कंगना ने न केवल अपने अभिनय कौशल का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, बल्कि एक निर्देशित के रूप में अपनी प्रतिभा से भी प्रभावित किया है।

फिल्म की पृष्ठभूमि और कथा कहानी:
1975 में भारत में आपातकाल के दौरान की राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल पर आधारित है । फिल्म के सितारे इंदिरा गांधी द्वारा नॉएल्ट की घोषणा की गई है और इसके नाटकीय प्रभाव-गिर घूमना है। ऐतिहासिक इतिहास के साथ-साथ इतिहास का चित्रण करते हुए, यह फिल्म दर्शन है


भारतीय राजनीति के सबसे विवादास्पद अध्यायों में से एक, 1975 के दशक में, कोंकण विद्रोह के कट्टरपंथियों ने प्रभावशाली और प्रामाणिक तरीके से बड़े पैमाने पर प्रस्तुत किया है। गांधी जी का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री कंगना ने न केवल अपने महत्वाकांक्षी अभिनय से दर्शकों को चकित किया, बल्कि निर्देशन के रूप में भी अपनी गहरी समझ और दृष्टि से फिल्म को उत्कृष्ट बनाया।

अन्य की पृष्ठभूमि को साजीव कथा कहानी
भारत के ऐतिहासिक इतिहास की वह घटना केंद्र बिंदु है, जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में अल्पमत की घोषणा की थी । यह फिल्म इस ऐतिहासिक घटना के राजनीतिक, सामाजिक और मानवीय मूल्यों को गहराई से छूती है। इंदिरा गांधी के साहसिक कार्य में, उनके आस-पास के राक्षस और राक्षसों के बीच आतंकवादी से जुड़ी कहानी बताई गई है।

कलाकार का साहसी प्रदर्शन
फिल्म की सबसे बड़ी खासियत इसकी स्टार कास्ट है, जिसने अपने अभिनय से कहानी को विश्वसनीय और यादगार बना दिया।
इमरजेंसी मूवी के प्रमुख कलाकार:
क्रांतिकारी : इंदिरा गांधी के परिसर और बहुसंख्यक व्यक्तित्वों की भूमिका में कंगना रनौत ने अद्भुत कर दिखाया। उनकी प्रयोगशालाएं, साइंटिस्ट, और कलाकारों की गहराई में उतरने की क्षमताएं इस भूमिका में बजती हैं।
अनुपम खेर  वह बोलीं नारायण की भूमिका में हैं, जो रोज़ाना विरोध के दौरान प्रमुख चेहरे थे। खेर ने अपने अनुभव और संजीदा के किरदार से इस किरदार को जीवंत किया है।
श्रेयस तलपड़े : अटल बिहारी के किरदार में श्रेयस ने अपनी शानदार अदाकारी से प्रभावित किया है। उनके संवाद अदायगी और व्यक्तित्व अटल जी की गरिमा को स्थापित करते हैं।
मिलिंद सोमन : वह फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के रूप में नजर आते हैं। मानेकशॉ की स्पष्टवादिता और शास्त्रीय व्यक्तित्व को मिलिंद ने प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है।
महिमा चौधरी: महिमा ने पुपुल जयकर की भूमिका निभाई है, जो इंदिरा गांधी की घनिष्ठ मित्र और विश्वास पात्र थीं। महिमा का प्रदर्शन फिल्म को एक स्थानान्तरण प्रदान करता है।
विशाख नयर : वह संजय गांधी की भूमिका में हैं और उनके किरदार की विश्वसनीयता और सामांय छवि बहुत ही कमजोर से उकेरी हुई है।
निर्देशक और संगीत की मधुरता:
यह फिल्म का मजबूत स्तंभ है। 1975 के दौर को फिर से जीवंत करने में उनका नॉवेल विजन काबिले-तारीफ है। हर दृश्य ऐतिहासिक अभिलेख और शिलालेखों का संतुलन बना रहता है।

जीव प्रकाश द्वारा रचित संगीत फिल्म की आत्मा को छूता है। फ़ार्म स्कोर और अभिषेक ने फिल्म के हर पल को यादगार बनाया है। 1975 के समय की संवेदनाओं में यह संगीतमय सुंदरता चित्रित है।

दर्शकों और समीक्षकों की प्रतिक्रिया:
:फिल्म को दर्शक और समीक्षकों से दमदार एक्टर मिल रही है। एक दर्शक ने कहा, "लंबे समय के बाद, मैंने ऐसे लोगों का अवलोकन किया जो एक नेता की ताकतों और गुटों को समान रूप से दिखाते हैं। कांग्रेस का किरदार शानदार है और पूरी कास्ट ने फिल्म को यादगार बना दिया है।"

समीक्षक रमेश बाला ने फिल्म की सराहना करते हुए कहा, "मुझे उम्मीद नहीं थी कि म्यूज़ियम पर इतना गहरा प्रभाव पड़ेगा। यह फिल्म न केवल ऐतिहासिक रूप से विनाशकारी है, बल्कि बेहद ऐतिहासिक भी है।"

निष्कर्ष:
असमानता सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि इतिहास का एक अहम दस्तावेज है। यह नई पीढ़ी 1975 के उस दौर से जुड़ाव का एक मजबूत माध्यम है, जब भारत एक राजनीतिक जनशक्ति और सामाजिक संकट से गुजरा था। कट्टरपंथियों की यह फिल्म 'एक मील का पत्थर' साबित होती है। अद्भुत अभिनय, उत्कृष्ट निर्देशक, और भावपूर्ण संगीत के साथ, भारतीय सिनेमा के बेहतरीन संगीतकार शामिल हुए हैं ।

दर्शकों के लिए यह फिल्म न केवल मनोरंजन है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की ताकत और कमजोरी को समझने का एक अनुभव भी है

इमरजेंसी मूवी की एक झलक नीचे देख सकते हैं। 




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