success story, पिता कभी प्रग्नांदा को चेस से दूर रखना चाहते थे, अब देश के नंबर वन खिलाड़ी।

तेल में चुपड़े साधारण तरीके से संवारे बाल, साधारण कद काठी और सामान्य रंग रूप, लेकिन काबिलियत और उसके बूते मिले आत्मविश्वास ने 18 वर्षीय आर परगनंदा को मौजूदा समय में चेस की दुनिया की सबसे बड़ी सनसनी बना दिया है। यह खिलाड़ी शतरंज को लेकर कितना संजीदा है इसका अंदाजा 2022 में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को हराने के बाद उनकी प्रतिक्रिया से समझा जा सकता है। उन्होंने मीडिया के सामने कहा वह इस तरह से जीत हासिल नहीं करना चाहते थे। दरअसल हुआ क्यों की असेंबल से मास्टर्स ऑनलाइन रेपिडली चीज टूर्नामेंट में दोनों के बीच हुआ मुकाबला ड्रा की ओर बढ़ रहा था 40 भी बड़ी चलते हुए मैग्नस कार्लसन से एक चूक हुई।

 उन्होंने अपना घोड़ा राजा के सामने से इस तरह से हटाया की चेकमेट की स्थिति बन गई। 40 बाजी के बाद ऐसे रैपिड टूर्नामेंट में खिलाड़ियों को 10 सेकंड का इंक्रीमेंट टाइम मिलता है और उसी टाइम में परगनंदा ने मुकाबला जीत लिया। यही वजह रही कि वह जीत से खुश नहीं दिखे। वह दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी को जोरदार तरीका से हराना चाहते थे।
प्रग्नांदा की परिचय
और प्रबंध का जन्म 10 अगस्त 2005 को चेन्नई में हुआ था। उनके पिता का नाम रमेश बाबू तथा माता का नाम नागा लक्ष्मी बहन आर वैशाली।
पराग नंद की शिक्षा
पराग नंदा वेलमैन से हाई स्कूल तथा मैट्रिकुलेशन हाई सेकेंडरी स्कूल चेन्नई से किया था।
4 साल की उम्र में खेलने लगे थे चेस
आर प्रगणंडा का पूरा नाम रमेश बाबू प्रगणंदा हैं। इनका जन्म में तमिलनाडु के चेन्नई शहर में रमेश बाबू और नाग लक्ष्मी के घर में हुआ था। पिता तमिलनाडु स्टेट अपेक्स कोऑपरेटिव बैंक में ब्रांच मैनेजर है जबकि मां ग्रहणी है। बचपन में पोलियो होने के कारण पिता एक पैर के दिव्यांग है। एक साक्षात्कार में रमेश बाबू ने बताया कि चीज टूर्नामेंट में हासिल होने के लिए काफी यात्राएं करनी पड़ती है। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी इसलिए वह पद नंदा को इस खेल से दूर रखना चाहते थे। लेकिन 4 साल की उम्र में हुए घंटे चीज के सामने बैठे रहते थे। जिसके चलते उन्होंने अपना निर्णय बदलना पड़ा। पराग नंद की बहन और आर वैशाली भी ग्रैंड मास्टर है।
सिर्फ 5 साल में बन गए ग्रैंड मास्टर।
प्रगणंडा ने 8 साल की उम्र में 2013 में अंदर 8 वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप जीती। इसके बाद 2 साल के अंदर ही अंदर 10 का टाइटल जीतकर फिडे मास्टर की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद 2016 से 2018 के बीच ग्रैंड मास्टर की उपाधि के लिए होने वाली तीन प्रतियोगिताएं जीतकर 12 साल 10 महीने की उम्र में ग्रैंड मास्टर बन गए। शतरंज में ग्रैंड मास्टर की उपाधि हासिल करना ऐसा ही है जैसा कीपीएचडी करना 20 फरवरी 2022 को वह चैंपियन शतरंज टूर्नामेंट 2022 के ऑनलाइन और थिंक से मास्टर्स रैपिड टूर्नामेंट में किसी भी फॉर्मेट में तत्कालीन विश्व चैंपियन मैगनस कार्लसन के खिलाफ जीतने वाले तीसरे भारतीय खिलाड़ी आनंद और हरी कृष्ण के बाद बन गए। इस बार उन्होंने मैगनस को तीन बार हराया।
शतरंज खिलाड़ी को डोनेट कर चुके हैं इनामी राशि
अमेरिका की व्यवस्था यूनिवर्सिटी ने उन्हें लगभग 90 लाख रुपया की स्कॉलरशिप प्रदान की है।
12 वर्षीय खिलाड़ी ऐंठन वाज को आगे बढ़ाने के लिए पैरानंद ने 2022 में मिली राशि डोनेट किया है।
शिक्षक श्री पुमानी के अनुसार परकनंदा ने केवल 30 मिनट में पाठ के दो अध्याय याद कर लिए थे।
दुनिया के सबसे कम उम्र के इंटरनेशनल चेस मास्टर
पराग नंदा 10 साल 10 महीने के उम्र में इंटरनेशनल चेस मास्टर बन गए थे।
2018 में 12 साल 10 महीने की उम्र में हुए ग्रैंड मास्टर बन गए थे। वे दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रैंडमास्टर हैं।
विश्वनाथन आनंद के बाद चेस वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं।
विश्व का नंबर वन शतरंज खिलाड़ी कौन है?
विश्व का नंबर वन शतरंज खिलाड़ी भारत के रमेश बाबू प्रज्ञानंद हैं। जो शतरंज खिलाड़ियों में सबसे कम उम्र का है।

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