success story, बचपन में ही बाप का सर से साया उठा और मां मजदूरी कर बेटी को पढ़ाई, बेटी बनी आईपीएस अफसर।

हर साल हमारे देश की युवाओं लाखों की संख्या में यूपीएससी की तैयारी करते हैं। इनमें से चंदे विद्यार्थी ही यूपीएससी में सफलता प्राप्त करते हैं। यूपीएससी हमारे देश की कठिन परीक्षाओं में से एक है। ऐसी कठिन परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने वाली दिव्य तवर एके ऐसी लड़की है जिसके सर से बचपन में ही बाप का साया उठ गया और मां मजदूरी करती कभी स्कूलों में खिचड़ी बनाती और अपनी बच्ची को हौसला प्रदान किया। आइए जानते हैं आईपीएस दिव्या तंवर के पूरी कहानी।
आईपीएस दिव्या तंवर की परिचय।
दिव्या तवर हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के एक छोटी सी गांव निंबी की रहने वाली है। उनके पिता का नाम भरत सिंह है जो 2021 में हृदयाघात बीमारी के कारण निधन हो गया। पिता के निधन के बाद उनकी माता कविता देवी लोगों के घर में झाड़ू पोछा कर अपनी बेटी को पढ़ाई। उनकी माता बबीता देवी करती है कि मैं अपनी लड़की को मेहनत मजदूरी करके पढ़ाई हूं खिलाई हूं कभी किसी से एक चम्मच सब्जी भी नहीं मांगी। दिव्या तंवर एक बहुत ही गरीब घर से आती है जहां पढ़ने के लिए समुचित जगह का भी अभाव है। चार लोग रहते हैं। दिव्या चावल की एक छोटी बहन तथा एक छोटा भाई एक ही कमरे में रहते थे। उसी कमरे में उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की थी।
आईपीएस दिव्या तवर की शिक्षा,
दिव्या तवर की शुरुआती पढ़ाई हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के निंबी गांव मैं हुई तथा उसके बाद उन्होंने नवोदय स्कूल में पढ़ाई किया। नवोदय स्कूल से पास कर बीएससी स्नातक वह,
गवर्नमेंट पीजी कॉलेज से पूरी की।
मात्र प्रतिदिन 8 घंटे पढ़कर आईपीएस बनी।
दिव्या ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह प्रतिदिन 7, 8घंटे पढ़ाई करती थी। आईपीसी के तहत तैयारी के दौरान वह घर से बहुत कम बाहर निकलती थी। दिव्या तवर कभी किसी कोचिंग सेंटर की सहारा नहीं ली बल्कि सेल्फ स्टडी से यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी की थी। आईपीएस दिव्या तवर उन लोगों के लिए एक मिसाल है जो यह कहते हैं कि मेरे पास साधन नहीं है गांव में कोचिंग सेंटर नहीं मिलता है इसलिए मैं यूपीएससी की तैयारी नहीं कर सकता। दिव्या तवर यह साबित कर दिया है कि अगर मेहनत किया जाए तो सफलता जरूर मिलता है। दिव्या तंवर का उम्र अभी 24 साल है। उनकी एक छोटी बहन है जिसका उम्र 20 साल है।

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